तहसील कार्यालय में रिश्वत का खुला खेल,पैसा दो और काम करवाओ
तहसील के कर्मचारियों की रिश्वतखोरी कैमरे में हुई कैद
शिवपुरी–कोई इंसान अपनी पाई-पाई जोड़कर जमीन का एक टुकड़ा खरीद पाता है।सरकार को रजिस्ट्री कराते समय उसका पूरा टैक्स चुकाता है।इसके बाद जब जमीन की रजिस्ट्री के बाद नामांतरण या फिर जमीन संबंधित कोई काम की बारी आती है तो तहसील के बाबू उसे चक्कर लगवा-लगवा कर परेशान कर देते हैं।जैसे ही आम आदमी रिश्वत देकर उनकी जेब गर्म करता है तो उसका काम झट से कर दिया जाता है।शिवपुरी की तहसील का कुछ ऐसा ही हाल है जहां पर बिना रुपये दिए कोई काम ही नहीं होता है।यहां बाबू 100-100 रुपये में अपना ईमान बेच देते हैं।जब ‘द शब्द‘ ने इसकी पड़ताल की तो तहसील के बाबूओं का कारनामा कैमरे में कैद हो गया।नामांतरण आदेश की नकल निकालवे के एवज में और फिर उसे सत्यापित करने के लिए दो बाबू ‘गजेंद्र शाक्य और महेश राठौर‘ खुलेआम 100 रुपये प्रति फाइल की रिश्वत लेते हुए कैमरे में कैद हो गए।इतना ही नहीं बेशर्मी ऐसी है कि जब रिश्वत देने के लिए खुल्ले रुपये नहीं थे तो एक बाबू ने रुपये खुल्ले करके भी दिए जिससे रिश्वत की राशि कम न हो जाए।वीडियो में बाबू साफतौर पर रिश्वत मांगते और लेते दिख रहे हैं।उनकी हनक ऐसी है कि कहते हैं कि रुपये दोगे तो काम अभी निपटा देंगे,नहीं तो चार-पांच दिन बाद आना,फिर देखेंगे।वीडियो सामने आने के बाद अब अधिकारी मामले में कार्रवाई की बात कहते हुए दिखाई दे रहे हैं।
बाबू बोला- 400 दे दो तो अभी निकाल दूंगा कागज,नहीं तो बाद में आना
बाबू गजेंद्र शाक्य के पास जब पहुंचे तो पहले उसने कहा कि बाद में आना।फिर बोलता है कि कितनी फाइल हैं तुम्हारी,जब उसे बताया कि चार आदेश निकलना है तो उसने 400 रुपये की मांग की।फिर 300 रुपये में मान गया। रुपयों की बात तय होते ही वह रिकार्ड रूम में जाकर आदेश खंगालने लगा और कुछ देर बाद आदेश ले आया।इसके बाद दूसरे बाबू महेश राठौर ने सत्यापित करने के एवज में 200 रुपये की मांग रख दी।इनकी पूरी करतूत कैमरे में कैद हो गई।